बाढ़ से जूझता बांग्लादेश [Bangladesh’s Struggle with Flooding] | DW Documentary हिन्दी

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समुद्र का बढ़ता जलस्तर और विनाशकारी बाढ़ बांग्लादेश में कहर बरपा रहे हैं. पानी फसलों और घरों को तबाह कर रहा है. बड़े पैमाने पर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण, लोग लगातार बाढ़ से जूझ रहे हैं.

दक्षिणी बांग्लादेश में गंगा डेल्टा में, खारा पानी ज़मीनी इलाकों में घुस आता है, जिससे क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो रही है. कई किसानों ने अपनी चावल की खेती छोड़कर, कम मुनाफे वाला झींगा पालन अपना लिया है. देश के अंदरूनी हिस्सों में विशाल नदियाँ एक और खतरा हैं. हिमालय की बर्फ पिघलने और भारी मानसूनी बारिश से जल स्तर में खतरनाक वृद्धि हो रही है. हर साल, उफनती नदियों के किनारे टूट जाते हैं, जिससे हजारों घर बह जाते हैं. इसके परिणाम भयावह हैं, हर साल 14,000 से अधिक बांग्लादेशी बच्चे डूब कर मर रहे हैं.

प्राकृतिक आपदाओं के कारण देश की राजधानी ढाका में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की तादाद बढ़ गई है. जलवायु शरणार्थी कामचलाऊ नौकरियों की तलाश में रहते हैं. क़ुरबान अली साइकिल-रिक्शा चालक बन गए हैं. वह अपने बच्चों को एक बेहतर जीवन प्रदान करने की उम्मीद में, सप्ताह के सातों दिन लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा रहे हैं.

बांग्लादेश भी अत्यधिक प्रदूषण से जूझ रहा है, जो मुख्य रूप से कपड़ा उद्योग के कारण हो रहा है. हर दिन हजारों टन जहरीला कचरा फेंका जाता है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अपने टैंकों में भरे कार्सिनोजेनिक केमिकलों को सीधे नदियों में बहा देते हैं. ऑस्ट्रेलिया में पढ़े ज़हीरुल जैसे लोग इस पर्यावरणीय विनाश से लड़ने की कोशिश में जुटे हैं. एक जहाज़ काटने वाले यार्ड के निदेशक जहीरुल ने, एस्बेस्टस, बैटरी और इंजन तेल जैसे खतरनाक कचरे को री-साइकिल करने के लिए 10 मिलियन यूरो का एक प्रोजेक्ट खड़ा किया है.

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